शिमला। विलुप्त हो रही दुर्लभ प्रजाति के पौधे बोझ पत्र को जिंदा करने के लिए जाइका वानिकी परियोजना को सफलता मिली है। हिमाचल प्रदेश में पहली बार इस प्रजाति के पौधों की नर्सरी तैयार करने से लेकर पौधरोपण तक सफलता मिली है। जाइका वानिकी परियोजना ने हिमालयन फोरेस्ट रिसर्च इन्टीच्यूट शिमला के सहयोग से पहली बार बोझ पत्र की नर्सरी तैयार करवाई ताकि इस दुर्लभ प्रजाति एवं सांस्कृतिक पौधों को पुनः रोपित कर उनके प्राकृतिक स्थलों पर पौधरोपण अभियान के माध्यम से लगाया जा सके। इस दिशा में जाइका वानिकी परियोजना बेहतरीन कार्य कर रही है। बोझ पत्र की संभावनाओं को देखते हुए जिला किन्नौर में पहली बार 15 सौ पौधे रोपे गए। वन मंडल किन्नौर के अंतर्गत तरांडा, निगुलसरी और जानी में क्रमशः पांच सौ-पांच सौ पौधे बोझ पत्र के रोपे गए। बोझ पत्र की संभावना के मद्देनजर वीरवार को वन परिक्षेत्र निचार स्थित भावानगर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिमालयन फोरेस्ट रिसर्च इन्टीच्यूट शिमला के निदेशक प्रभारी डा. संदीप शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पितांबर नेगी और तकनीकी अधिकारी ज्वाला सिंह ने बोझ पत्र के पौधरोपण से लेकर उनके संरक्षण पर विस्तृत जानकारी दी।