समाधानों के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में उसका बुनियादी भरोसा, कई प्रमुख क्षेत्रों पर ज्यादा बड़ा ध्यान दिला सकता है। ये प्रमुख क्षेत्र हैं – पब्लिक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय समावेशन और कृषि से लेकर शिक्षा तक टेक्नोलॉजी युक्त विकास। भारत एक ऐसा देश है जहां रियल टाइम डिजिटल लेनदेनों की दुनिया में सबसे बड़ी संख्या (2022 तक 48 बिलियन) है, और जो सबसे बड़ी बायोमेट्रिक आईडी सिस्टम (आधार) का घर है। वो डिजिटल वित्तीय समावेशन, डिजिटल पहचान और सहमति आधारित ढांचों के इर्द गिर्द बातचीत को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थिति में है। इसके अलावा, भारत अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी नतीजे देने के लिए प्रतिबद्ध है। इनमें महिला सशक्तिकरण, 2030 एसडीजी की दिशा में तेजी से प्रगति, कई क्षेत्रों में तकनीक आधारित विकास, हरित हाइड्रोजन, आपदा जोखिम में कमी, खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ाना, और बहुपक्षीय सुधार आदि शामिल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि ऋण संकट भारत की जी-20 मुद्दों की सूची में शुमार होगा, ऐसे में ये स्पष्ट है कि ये मुल्क ग्लोबल साउथ के हितों के लिए एक प्रभावी झरोखा बनने को तैयार है और वो विकसित दुनिया की अलग-थलग चिंताओं को व्यापक एजेंडे पर हावी होने नहीं देगा।
इस क्षेत्र और दुनिया भर में भारत की एक मजबूत राजनीतिक उपस्थिति है। इसके साथ भारत के पास दुनिया के लिए एक ज्यादा समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की मध्यस्थता करने हेतु अपने भारी राजनयिक रसूख का लाभ उठाने का अवसर है। साथ में उम्मीद है कि ‘वन अर्थ. वन फैमिली. वन फ्यूचर’ की अपनी थीम और लोगो के साथ भारत जी-20 की अध्यक्षता से एक विलक्षण, शक्तिशाली संदेश देगा। वो ये कि – अब हम सभी के लिए वक्त आ चुका है कि हम कदम उठाएं और इस साझे ग्रह की जिम्मेदारी लें।
[लेखक भारत के जी-20 शेरपा हैं। वे पूर्व में नीति आयोग के सीईओ रहे हैं।]