• कांग्रेस राज में कर्मचारी परेशान, युवा ढूंढ रहे नौकरी और सरकार समाप्त कर रही सैकड़ों पद
शिमला, भाजपा के मुख्यप्रवक्ता राकेश जमवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार जनहित नहीं बल्कि जन परेशानी वाली सरकार है। सत्ता में आने के लिए वादे तो बड़े-बड़े करते थे पर सत्ता में आने के बाद तुरंत पलट गए जब से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस नाम की आपदा आई है तब से पूरी जनता परेशान है।
उन्होंने कहा कि राज्यभर में 108-102 एम्बुलैंस कर्मचारियों के सरकार के अड़ियल रवैये और मांगों को मनवाने को लेकर हड़ताल पर जाने से 2 अक्तूबर से रात 8 बजे से 3 अक्तूबर की रात्रि 8 बजे तक एम्बुलैंस सेवा बाधित रहेगी। यानि 24 घंटों की अवधि के बीच में 108-102 एम्बुलैंस सेवाओं से लोगों को महरूम माध्यम से होना पड़ेगा। प्रदेश के 108 व 102 एम्बुलैंस कर्मचारी यूनियन संबंधित सीटू एन.एच.एम. एवं मैडस्वान फाऊंडेशन प्रबंधन की 108-102 एम्बुलैंस कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। 108-102 एम्बुलैंस कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्य नियोक्ता एन.एच.एम. के तहत कार्यरत मैडस्वान फाऊंडेशन के अधीन काम कर रहे यह कर्मचारी शोषण का शिकार है। पर कांग्रेस सरकार को कर्मचारियों का दर्द दिखाई नहीं देता।
उन्होंने कहा कि हिमुडा में अधिकारियों व कर्मचारियों के कुल 633 पद स्वीकृत थे। इनमें से 352 पद भरे हुए थे, जबकि 281 पद खाली थे। मगर व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार ने 327 पद खत्म कर दिए हैं। सरकारी नौकरी की तैयारियां कर रहे हजारों बेरोजगारों के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है। जगह-जगह ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जो स्वप्न में भी कोई राजनेता नहीं सो सकता, एक ही अधिसूचना से 1.50 लाख स्वीकृत पदों को समाप्त करने वाली सरकार है यह कांग्रेस सरकार। प्रदेश में वन विभाग के अंतर्गत वन रक्षकों के कुल 385 पद रिक्त हैं, पर कांग्रेस सरकार पक्की नौकरियों लगने पर फोकस नहीं कर रही है अपितु वन, जल, बिजली मित्र लगाने पर कार्य कर रही है। आज हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी परेशान है, टूरिज्म विभाग की सैलरी नहीं आती है और प्रमोशन के बाद भी वित्तीय प्रगति नहीं हो पा रही है।
पूर्व भाजपा सरकार ने 6 सितंबर 2022 को एक नोटिफिकेशन जारी करके रेगुलर होने के बाद हायर ग्रेड-पे को लगी दो साल के राइडर की शर्त हटा दी थी। इससे कर्मचारियों के वेतन में 10 से 20 हजार रुपए की बढ़ौतरी हुई थी। मगर कांग्रेस सरकार की कुछ दिन पहले की नोटिफिकेशन से इतना ही वेतन कम होगा। इससे कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। जब मुख्यमंत्री को पता लगा कि उनके हाथों द्वारा ऐसा निर्णय हो गया तो वह नोटिफिकेशन वापस लेनी पड़ी पर उसके बाद क्या किया उसे नोटिफिकेशन पर इंक्वारी बैठा दी। पहले निर्णय खुद गलत लेना और उसकी खोज के लिए एक इंक्वारी बिठा देना एक नया व्यवस्था परिवर्तन का भाग बन चुका है।