शिमला : पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जारी बयान में कहा कि उन्होंने विधानसभा में नियम 67 के तहत आपदा पर चर्चा की मांग की जिसे सरकार द्वारा विपक्ष के दबाव में स्वीकार करना पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों द्वारा भेजी गई आपदा राहत सामग्री को भी अपना बनाने की कोशिश की। हमारी पार्टी द्वारा और प्रदेश के लोग जो राहत सामग्री ला रहे थे सरकार द्वारा संरक्षित अधिकारियों ने नाका लगवाकर राहत सामग्री एसडीएम और तहसीलदार को देने के लिए दबाव बनाया। सरकार अगर खुद कुछ नहीं कर सकती तो जो लोग कर रहे हैं, उन्हें करने दिया जाए। जो राशन सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर से भेजा गया वह मुख्यमंत्री के चहेते कांग्रेसी नेता के घर गया। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार मुकदमा करके ना हमें डरा सकती है ना दबा सकती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा में सरकार द्वारा जिस तरीके का रवैया अपनाया गया है वह बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है। सरकार जब कहती है कि हजार करोड़ का नुकसान हुआ है लेकिन राहत के और सड़कों की बहाली के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दो करोड रुपए की सहायता कई किस्तों में दी गई। इसके बाद भी सरकार चाहती है कि हम उनकी वाहवाही करें। लेकिन सरकार एक बार इस बात का मूल्यांकन करें कि उन्होंने जो किया है क्या वह सही है? सरकार द्वारा पहुंचाई गई राहत पर्याप्त है? डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अगर सड़कें नहीं खुली हैं तो यह काम किसकाथा?
उन्होंने कहा कि 20 से ज्यादा जेसीबी मशीनें लगाकर हमने रास्ते खोले। और सरकार कुछ मशीनें लगा कर संख्या बताती है कि हमने इतनी मशीनें लगाई हैं। सवाल यह नहीं है कि सरकार द्वारा कितनी मशीनें लगाई गई हैं? सवाल यह है की कितनी मशीनें लगाई जानी चाहिए थी जिससे कि समय फिर रास्ता खुल जाए? अब सरकार को करना क्या चाहिए था उस पर बात की जानी चाहिए? जिस तरीके से लोगों को नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कैसे हो इस पर बात की जानी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सत्ता के संरक्षित नेताओं ने आपदा को एक अवसर बनाया और भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ गए। जो रास्ते हमने लोगों से मशीनें मांग कर खोलें हैं आज कांग्रेस के नेता कहते हैं कि उन सड़कों का काम निकालो और टेंडर हमारे नाम पर बना कर उसका पैसा हमें दे दो। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में इस दर्जे का भ्रष्टाचार और नीचे दर्जे का कार्य हो रहा है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कैसे पहुंचाई जाए इसकी वजह सरकार वहां जो कुछ है उसे कैसे छीन जाए इस पर ही सारा ध्यान लगा कर रखाथा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि ढाई साल से ज्यादा समय से सरकार हॉर्टिकल्चर कॉलेज छीनना चाहती थी और आपदा के नाम पर वह काम सरकार ने किया। फौरी राहत के 2500 रुपए देने में सरकार को हफ्तों लग गए। लेकिन 62 लोगों के खिलाफ मुकदमा करने में 1 मिनट भी नहीं लगा। इस तरीके में सरकार आपदा प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाना चाहती है। सरकार की आंखों में पूर्व सरकार द्वारा बनवाए गए संस्थान और स्ट्रक्चर चुभ रहे हैं। इसलिए बार-बार उनका वह गलत तरीके से हवाला देती है। अगर सरकार को यह चीजें इतनी खल रही है तो वह बुलडोजर लेकर जाए और गिरा दे।