शिमला, भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप एवं प्रदेश सचिव, विधायक विनोद कुमार ने कहा कि वोट मामले में कांग्रेस की हालत चोर मचाए शोर जैसी हो चुकी है। पूरे प्रदेश में जितनी भी रैलियां कांग्रेस पार्टी द्वारा निकाली गई है, वह केवल मात्र एक ढोंग है।
उन्होंने कहा कि 1988 में, नेशनल कॉन्फ़्रेंस के साथ मिलकर कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर धांधली की। कीर्ति आजाद ने खुद कहा था कि पोलिंग बूथ लूटने का काम उनके व उनके पिताजी और कांग्रेस के नेताओं के लिए उस समय की कांग्रेस ने किया था। यह कोई एक एक उदाहरण नहीं है, गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी की शुरुआत से ही यही परंपरा रही है कि चुनाव हारो तो वोटर पर ठीकरा फोड़ दो, या फिर चुनाव आयोग पर ठीकरा फोड़ दो। इलेक्शन कमिशन के नियमों और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करो। इंदिरा गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि मतदाता ‘मूर्खों का टोला’ हैं और यह उन्होंने 1970 का चुनाव हारने के बाद कहा था। 1999 में जब राजीव गांधी जी हारे, तो उन्होंने बैलट पेपर पर ठीकरा फोड़ दिया और उस समय कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन लाओ। आज उनके पुत्र राहुल गांधी जी कहते हैं कि ‘ईवीएम बंद करो, वापस बैलट पेपर लाओ।’ महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली समेत अनेकों राज्यों और देश में तीन बार लगातार और कुल 90 चुनाव हारने के बाद भी राहुल गांधी जी आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं। राहुल गांधी के काम करने का तरीका ही यही है कि चुनाव हारो, झूठे आरोप लगाओ, कभी चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज मत कराओ, कभी सबूत मत दो, और लोकतंत्र को फर्जीवाड़ा करके जनता को भ्रमित करने का काम करो, लोकतंत्र को नीचा दिखाने का काम करो।
भाजपा नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी, प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री जवाब दें कि क्या उनको किस बात का डर है? आप न शपथ पत्र देते हैं, न सबूत देते हैं, और झूठे आरोप लगाकर भाग जाते हैं। यही राहुल गांधी का तरीका बन चुका है। राहुल गांधी की आरोप लगाकार भाग जाने की की पुरानी आदत है। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी जी को वोटर रोल के मुद्दे पर बुलाया, वो नहीं गए। उन्हें बार-बार कहा गया कि सबूत दें, उन्होंने नहीं दिया। यहां तक कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए अधिनियम) के सेक्शन 80 में स्पष्ट है कि कोई भी चुनाव याचिका दायर की जा सकती है, लेकिन इनके किसी भी नेता, किसी भी प्रत्याशी ने याचिका दायर नहीं कि। इंडियन नेशनल कांग्रेस और आरजेडी दोनों की यही प्रवृत्ति है।