30 जून की मध्य रात्रि को मण्डी जिला के अनेक-अनेक स्थानों पर भारी पानी से भयानक त्रासदी हुई। 1 जुलाई, प्रातः काल तक स्थितियां अत्यंत गंभीर हो गई और सैंकड़ो गांवों का संपर्क शेष हिमाचल से टूट गया। करसोग विधानसभा क्षेत्र के अनेक हिस्सो में बादल फटने की घटना के कारण भारी नुकसान हुआ। सड़कें, बिजली, पानी, पुल क्षतिग्रस्त हुए, अनेक-अनेक घर पूरी तरह जलमग्न हो गए।
नाचन विधानसभा क्षेत्र की सरयांज पंचायत के बागा व पैंगलियूर गांव में भारी तबाही हुई। रात को 2 बजे तक सब कुछ ठीक-ठाक था। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी चट्टाने, मलवा, 100-100 साल पुराने पेड़ तबाही लेकर पहाड़ से नीचे उतर रहे थे। जान बचाकर लोग घरों की छतों पर चढ़े और उस सैलाब में घर भी बह गए और वो लोग भी बह गए। लगभग 50 बीघा शानदार जमीन में 7-8 घर बने हुए थे, टमाटर की लहलहाती फसल इस जमीन में लगी हुई थी, अनेकों पशु, पशुशालाओं में बंधे हुए थे पर जब तक इलाके के लोग जागते, यहां कुछ भी नहीं बचा था। यहां घराट था, आटा चक्की थी, गन्ने का कोल्हू था, किसी चीज का भी नामो-निशान नहीं बचा। दिखाई दे रहा है तो केवल बड़ी-बड़ी चट्टाने, 100-100 साल पुराने पेड़ और रोते-बिलखते परिवारों की सिसकियां। 9 लोग इस गांव से उस रात को बह गए, 4 मृतक शरीर मिल गए, 5 की तलाश एनडीआरफ कर रही है, उम्मीद की किरण समाप्त हो चली है। यह कहानी कोई बागा या पैंगलियूर की नहीं है, पूरे इलाके में यही दास्तां है। इलाके के दौरे के दौरान नाचन के विधायक विनोद चैहान भी हमारे साथ मौजूद रहे।
सिराज विधानसभा क्षेत्र के बगस्याड़ में पहुंचे तो बगस्याड़ के गांव शरण की तबाही का आलम भी इसी तरह का है। जहां मध्य रात्रि में पत्थरों का, दलदल का सैलाब देखते ही देखते पूरे गांव को, घरों को, जमीन को, सेब के बगीचों को, पशुशालाओं को तोड़ता हुआ, गिराता हुआ अपने साथ जवाल खड्ड में ले गया। आज इस गांव में एक भी परिवार के पास सोने के लिए बिस्तर नहीं है, खाना बनाने के लिए बर्तन नहीं है, घर बनाने के लिए जमीन नही है, क्योंकि जमीन भी जमीदोज हो गई है।
हम आगे बढ़े तो थुनाग पहुंचे। सिराज विधानसभा क्षेत्र की राजधानी थुनाग जिसे जयराम ठाकुर जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए मोतियों के हार की तरह सजाया, उसकी तबाही देखकर रूह कांप गई। थुनाग के बाजार में 5-5 मंजिल भवन थे, आज उनका नामो-निशान भी दिखाई नहीं दे रहा। जहां पर थुनाग खड्ड का पानी आता था, वो तो आया ही, पहाड़ की चोटी से चट्टानो का, दलदल का और पेड़ों का सैलाब थुनाग में घुसा और देखते ही देखते थुनाग के बाजार को नेस्तोनाबूत कर दिया। अब वहां न कोई घर बचा है और न ही कोई दुकान, सब कुछ तबाह हो गया, कुछ भी नहीं बचा और जो कुछ बचे हैं वह भी गिरने वाले हैं। लगभग 30-40 फुट मलवा पूरे थुनाग में भरा पड़ा है और उस मलवे के नीचे पशुओं के दबे होने की सड़ांध सारे इलाके में फैल रही है। इस इलाके से 30 लोग लापता हुए जिनमें से 9 के शव बरामद हो चुके है और 21 लोग अभी भी लापता हैं। क्या मालूम किसी मनुष्य का शरीर इस मलवे के नीचे सड़ रहा हो। इस गांव के स्कूल, काॅलेज, अस्पताल व अन्य भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। सड़कें तो दूर-दूर तक भयावह स्थिति में है, न पीने का पानी, न बिजली, जीवन अस्त-व्यस्त है। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के साथ इन सभी क्षेत्रों में जाना हुआ।
बगस्याड़ में भी और थुनाग में भी राशन की किटों की गाडि़यां पहुंचाने के बाद हम आगे बढ़े और एक छोटा सा गांव जिसका नाम थुनाड़ी है और इस गांव के लगभग 25 परिवार सभी के सभी घर और जमीने पानी के सैलाब में बह गए। केवल गनीमत यह रही कि जाने बच गई। इस गांव के लोग स्कूल में आश्रय बनाकर रह रहे है। इन सबको कुछ गद्दे, कम्बल, राशन, बर्तन इत्यादि देकर हम लंबाथाच की ओर आगे बढ़े। बार-बार एक ही बात जहन में आ रही थी कि दशकों की मेहनत और कमाई से घर बनाए, खेत बनाए, सेब के बगीचे बनाए, पशुधन तैयार किया और सब कुछ देखते ही देखते तबाह हो गया। अब न तो जमीन है जिस पर घर बनाया जा सके और न ही आमदनी का कोई साधन है।
यही कहानी जंजैहली की, यही कहानी गोहर के आसपास के क्षेत्र की है, यही कहानी गांव बाखली और कुकलाहा की है जो माता बगलामुखी के साथ लगता क्षेत्र है। 16 मैगावाट का पटीकर हाईडल पावर प्रोजेक्ट इस तरह से ध्वस्त हुआ कि आज उसका नामो-निशान मिट गया। बाखली खड्ड के बहाव में न सड़क रही, न पुल रहे, न बिजली का प्रोजेक्ट रहा, न रास्ते बचे, न खेत-खलिहान बचे और 12 पंचायतों का इलाका शेष दुनिया से कट गया।
क्या-क्या कहे और क्या-क्या लिखें, मन भर आता है। लगभग 20 हजार की आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बूरी तरह प्रभावित हुई है। 500 से ज्यादा परिवार ऐसे हैं जिनके न नीचे जमीन है और न उपर छत है, केवल राहत शिविर उनका सहारा है। भारतीय जनता पार्टी पूरे प्रदेश से राशन, बरतन, गद्दे, कम्बल, जीवन उपयोगी सामान प्रभावित इलाकों में पहुंचाने में लगी हुई है, परन्तु पुनर्वास का काम अत्यंत गंभीर है। सड़कों, पुलों, पेयजल योजनाओं को पुनः ठीक करके चालू करना बहुत कठिन कार्य है। Rehabilitation का काम केवल और केवल प्रदेश सरकार के भारी सहयोग से ही संभव है, क्योंकि जमीन नहीं है तो मकान नहीं बन सकता और जमीन केवल सरकार ही दे सकती है और यही एक मात्र पुनर्वास का माध्यम है, इसलिए प्रदेश सरकार प्रभावितों को भूमि उपलब्ध कराए। सरकार और समाज को पूरी शिद्दत के साथ अपने भाई-बहनों के साथ खड़ा होना पड़ेगा।