मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने आज यहां कहा कि हिमाचल आत्मनिर्भर राज्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है और प्रदेश सरकार का वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट इस संकल्प को साकार करने में मील पत्थर साबित होगा।
उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष का बजट मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की मुहिम को आगे बढ़ा रहा है। इस बजट में प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई मक्की के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलो तथा गेंहू के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 40 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो किया गया है। उन्होंने कहा कि हल्दी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाई गई हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 90 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है और सरकार प्राकृतिक तौर से पैदा उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पशुपालकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस वित्त वर्ष में गाय के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 45 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के समर्थन मूल्य को 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर किया है।
उन्होंने कहा कि हरित हिमाचल के विज़न को साकार करते हुए इस वित्त वर्ष में राजीव गांधी वन संवर्धन योजना को लागू किया जाएगा। योजना के तहत बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने के लिए महिला और युवक मंडलों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाएगा। प्रदेश के हरित आवरण को बढ़ाने के लिए प्रत्येक महिला और युवक मंडल को पांच साल में प्रति समूह 6 लाख 40 हजार की राशि मिल सकेगी। इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है।
नरेश चौहान ने कहा कि यह बजट युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित कर रहा है। उन्होंने कहा कि 25 हजार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ परिवहन, इलैक्ट्रिक वाहनों के संचालन, फूड वैन जैसी पहलों के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर के केन्द्र से मिल रहे बजट और शराब के ठेकों की नीलामी से संबंधित आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने कार्यकाल के दौरान प्रदेश के हितों के साथ खिलवाड़ किया जबकि वर्तमान प्रदेश सरकार का कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा है। नेता प्रतिपक्ष को प्रदेश सरकार को कोसने के बजाय केन्द्र के समक्ष प्रदेश और प्रदेशवासियों के हितों की आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 9 हजार करोड़ रुपये की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट राशि को जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को केन्द्र से मिलने वाला फंड यहां के लोगों का अधिकार है और केन्द्र सरकार हिमाचल के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं रख सकती।